Daily Archives: जुलाई 23, 2011
कल और आज
कल और आज अब कोई चरवाहाबाँसुरी की सुरीली तान परप्रेम गीत नहीं गाताऔर न ही कोयल कूकतीचिड़िया भी बहुत कम चहचहाती हैघर की चहेती गायजिसका दूध कई पीढ़ियों तकअमृत पान की तरह पियाउसके ढूध न देने के बादउसे बेकार समझकरसडकों पर … पढना जारी रखे
कविता में प्रकाशित किया गया
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